हमारा मुखपृष्ठ और हमारा झंडा

 

  हमारे 'बुलेटिन' के मुखपृष्ठ पर छपा झंडा रजतनील रंग के समचतुष्कोण के ठीक  .बीचोंबीच, पूरी तरह खिला हुआ सुनहरा कमल हैं जिसमें पंखुड़ियों की दो पंक्तियां हैं, चार अंदर बारह बाहर ।

 

   यह नील रंग आत्मा का नीला रंग है और सुनहरा रंग 'परात्पर मां' का रंग है । झंडे को घेरे हुए लाल रंग आलोकित भौतिक चेतना का प्रतीक हैं ।

 

   शुरू में यह झंडा केवल जि० एस० आ० एस० आ० (''जनैस स्पौर्तिव द लाश्रम द अरविन्द' ') या ' श्रीअरविन्दाश्रम युवक खिलाडी संघ' का झंडा था; पर जब यहां (आश्रम मे) १५ अगस्त, १९४७ को भारत की स्वाधीनता मनायी गयी तो देखा गया कि यह समस्त भारत के आध्यात्मिक लक्ष्य को भी अभिव्यक्त करता हैं, इसलिये यह हमारे लिये पुनरुत्थित, एकता-प्राप्त, संयुक्त और विजयी भारत का प्रतीक है जो अपने-आपको शताब्दियों की निर्जीवता से उठाकर, गुलामी की बूड़ियों को फेंककर, नव जीवन की प्रसव वेदना में से होकर फिर सें एक बार एक महान् संयुक्त राष्ट्र के रूप में उदय हों रहा हैं जो संसार और उसकी मानवजाति को आत्मा के ऊंचे-से-ऊंचे लक्ष्य तक ले जायेगा ।

 

   इसलिये हम ऐसे प्रतीकवाले झंडे पाकर अपने-आपको बहुल भाग्यवान् मानते हैं और इसे गहरा प्रेम और आदर देते हैं ।

 

('बुलेटिन', अप्रैल १९४९)